Saturday, January 02, 2016

डा० राजेन्द्र गौतम

 कवि, समीक्षक और शिक्षाविद के रूप मे डॉ. राजेन्द्र गौतम एक जाना-पहचाना नाम है। बरगद जलते हैं (1998 ), पंख होते हैं समय के (1987) तथा गीत पर्व आया है (1983) उनके चर्चित नवगीत-संग्रह हैं। हरियाणा साहित्य अकादमी ने उनकी कृतियों-- 'बरगद जलते हैं' तथा 'गीतपर्व आया है' को श्रेष्ठ कविता-पुस्तकों के रूप में पुरस्कृत किया है। नवगीत दशक-3, यात्रा में साथ-साथ तथा नवगीत-अर्धशती आदि सभी प्रतनिधि नवगीत-संग्रहों में इनकी रचनाएँ संकलित हैं। एक आलोचक के रूप में उनकी पहचान का आधार पंत का स्वच्छंदतावादी काव्य (2010), दृष्टिपात (1997), पंत के काव्य में आभिजात्यवादी और स्वच्छंदतावादी तत्त्व (1989) तथा हिंदी नवगीत : उद्भव और विकास (1984) जैसे समीक्षा-ग्रंथ हैं। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित उनकी ललित गद्य-रचनाओं का संग्रह ‘प्रकृति तुम वंद्य हो’ अपनी अलग पहचान रखता है। उनकी 400 से अधिक रचनाएँ हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं मे प्रकाशित और आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से प्रसारित हुई हैं। 
डॉ. गौतम को ‘पाकिस्तान अकादमी ऑफ लेटर्स’ द्वारा इस्लामाबाद में 10-11 जनवरी 2013 को “लोकतन्त्र और साहित्य” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मे व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया। 'विश्व हिंदी सचिवालय मारीशस' ने भी अपने उद्घाटन-समारोह (12.08.04-22.08.04) में उन्हें साहित्यकार के रूप मे आमंत्रित किया था। उन्होंने अनुवाद एवं तकनीकी शब्दावली के क्षेत्र में भी विशिष्ट कार्य किया है।  
सम्प्रति डॉ. गौतम, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। अपने 41 वर्षों के दीर्घ अध्यापकीय जीवन में वे छात्रों के बीच अत्यधिक लोकप्रियता अर्जित की है। 

सम्पर्क : बी-226 राजनगर-1, पालम, नई दिल्ली-110077
           दूरभाष: 25362321, मो. 9868140469
           ई-मेल:
rajendragautam99@yahoo.com
rajendragautam99203@gmail.com

2 comments:

Kusum Singh said...

ज्ञानवर्धन के लिए आभार .

Kusum Singh said...

ज्ञानवर्धन के लिए आभार